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गजराज गराडू की आधुनिक खेती: मिल रहा रोजगार

– गजराज गराडू की रतलाम, इंदौर के अलावा अन्य राज्यो में बढ़ती जा रही है मांग

– रूनीजा के रामप्रसाद ने आधुनिक खेती (Modern farming) को बनाया रोजगार का जरिया

रूनीजा। गजरात गराडू की आधुनिक खेती (Modern farming) के जरिये रूनीजा के ग्राम माधवपूरा निवासी रामप्रसाद नागर ना सिर्फ अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे है, बल्कि क्षेत्र के कई लोगों को इसके जरिये रोजगार भी उपलब्घ करवा रहे है। लगभग 12 सालों से गराडू की खेती कर रहे रामप्रसाद ने अपने अनुसंधान से अपनी खुद की एक किस्म गजराज गराडू तैयार कर ली है।

आधुनिक खेती

परम्परागत खेती खचीर्ली व लाभ की नही रही,तो माधव पूरा निवासी रामप्रसाद नागर पिता रामचन्द्र नागर सब्जियों की आधुनिक खेती (Modern farming) कर आज स्वयं तो लाभ ले ही रहे है, बल्कि कई परिवारों को रोजगार भी दे रहे है। नागर अपने परिवार से साथ मिलकर पिछले 12 सालो से गराडू की खेती कर रहे हैं ओर अब अनुसंधान कर अपनी ही किस्म गजराज गराडू बना ली है, जिसकी मांग अब इंदौर, रतलाम सहित अन्य जिलों में बढ़ने लगी है।

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कुछ अलग करने की सोच…

कृषक रामप्रसाद नागर ने बताया कि वह भी अन्य किसानों की तरह परम्परागत खेती करते थे, लेकिन उसमे लागत ज्यादा और लाभ कम मिलता था। वैसे तो नागर मिर्च व टमाटार, लहसुन ,अदरक की खेती कई सालो से करते आ रहे हैं परन्तु इन फसलो मैं कई बार थोडा कम लाभ मिलने से नागर ने कुछ अलग खेती करने का सोचा बहुत खोज बीन के बाद और संम्पूर्ण जानकारी एकत्रित कर गराडू की फसल लगाई, जिससे अच्छी आमदानी हुई।

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और गजराज गराडू हुआ तैयार

कृषक नागर गराडू की परम्परागत खेती करते थे। खेती पर निरन्तर शोध और सुधार करते करते गराडू की खेती को आधुनिक खेती (Modern farming) में बदल दिया, इस बदलाव से नागर ने खुद् की गराडू की गजराज किस्म बना ली जिसका वजन 3 किलो तक है और कुछ कुछ गराडू तो 4 और 5 किलो तक हो जाते है। अब नागर एक एकड जमीन से दो लाख की कमाई करते है।

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बढ़ने लगी मांग…

गजराज गराडू की ठंड के साथ ही वर्तमान में चल रहे शादी के सीजन के चलते रतलाम, इंदौर, बड़नगर में मांग अधिक है। वहीं अन्य राज्यों के साथ-साथ वर्तमान बेंगलोर, शिमोगा से भी गजराज गराडू के लिए उनके पास फोन आने लगे हैं। कृषक रामप्रसाद नागर ने बताया कि मूल रूप से गराडू कन्द वाली फसल है और इसे सभी प्रकार की मिट्टी मे ऊगा सकते है। आम किसान भाई इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं। यदि किसान भाई समय समय पर इसकी देख भाल करे तो इस खेती से अच्छा लाभ ले सकते है।

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प्रथम वर्ष थोडी ज्यादा लागत

प्रथम वर्ष गराडू की खेती में एक एकड़ में करीब चालीस हजार रुपए का खर्च आता है। यह खर्च जीआई तार, ड्रीप, बाँस और अन्य सामान खरीदने में आता है। यह सामान एक बार खरीदी करने के बाद 6 साल तक चलते है। पानी कम होने पर ड्रीप ईरीगेशन (टपक सिचाई) का सहारा लेकर भी गराडू की खेती की जा सकती है।

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कैसी मिट्टी होना चाहिए

कृषक रामप्रसाद नागर ने बताया कि गराडू की आधुनिक खेती (Modern farming) के लिए जीवाश्म यूक्त उपजाऊ बलुई दोम्मट मिट्टी, काली मिट्टी अच्छी होती है। जहाँ पर गराडू की खेती करना है। उस खेत में जल निकास की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए और जिस खेत में गराडू की बुआई करना है उस खेत में गौबर खाद अंनिवार्य डाले जिससे उत्पादन अच्छा होगा। अगर फसल की देखरेख अच्छे से की जाये तो 70 से 80 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन मिलता है। बाजार मंडी में गराडू 20 रुपए किलो तक बिकता है।

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कब और कैसे करना है खेत तैयार

कृषक रामप्रसाद नागर के अनुसार फरवरी माह में खेत में पलाऊ करे। इस के बाद खेत को अच्छी धुप खाने दे, जिससे फसल में बीमारियां कम आती है, इसके बाद कल्टीवेटर करके, फिर रोटावेटर से जमीन को अच्छी तरह से जोत कर समतल करे। उस के बाद पकी गोबर की खाद पाँच ट्राली प्रति एकड़ डाले गोबर खाद को खेत में अच्छी तरह से फैला ले और मिट्टी मैं मिला दे, इसके बाद बेड मेकर की साहिता से बैड बना ले। गराडू की बुआइ बेड बनाकर ड्रीप डाल कर की जाती है। ड्रीप विधि से गराडू की खेती मैं पौधै से पौध की दूरी 1. 5 फीट, एक बैड से दूसरे बैड की दुरी 3 फीट, बेड की ऊचाई 1. 5 फीट और 2 फीट चौड़ाई रखी जाती है।

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बुवाई का सही समय

कृषक रामप्रसाद नागर के अनुसार बुवाई का सही समय 1 मई से 30 जून तक है। बुआई के लिए 100 से 150 ग्राम के गराडू के टुकड़े उचित होते है। इसमें बीज की मात्रा प्रति एकड़ 1000 से 1200 किलोग्राम रखी जाती है। बुआई के पहले 100 किलो सुपर फॉस्फेट, 30 किलो यूरिया, 100 किलो पोटाश प्रति एकड़ के मान से डाले । फिर बुआई करे, बुआई करने के कुछ समय बाद गराडू के कंद अंकुरित हो कर जमीन से बाहर आ जाता है। कुछ समय में बढ़कर बेल बन जाते और तार बॉस के सहारे उपर चढ़ जाते है। मई माह में गराडू की बुआई करने पर इसकी खुदाई नवम्बर-दिसम्बर माह में की जाती है।

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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