संजीवनी अस्पताल में महिला मरीज के साथ छेड़छाड़
- अस्पतालों को 1 माह में स्टाफ का वेरिफिकेशन कराना होगा, नहीं तो लाइसेंस निरस्त
उज्जैन। फ्रीगंज स्थित संजीवनी हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती एक महिला मरीज के साथ हॉस्पिटल के ही एक कर्मचारी द्वारा छेड़छाड़ करने की घटना सामने आने के बाद अब पुलिस- प्रशासन ने सख्ती करते हुए। शहर सहित पूरे जिले के सभी निजी अस्पतालों के प्रबंधन को अपने पूरे स्टाफ का पुलिस से कैरेक्टर वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य होगा। साथ ही एक महीने के भीतर अस्पतालों में आवश्यक स्थानों पर सीसीटीवी, सुरक्षा गार्ड तैनात करने सहित अन्य सुरक्षा इंतजाम करने होंगे। ऐसा नहीं करने पर एक महीने बाद संबंधित अस्पतालों के खिलाफ लाइसेंस निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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यह है पूरा मामला…
बड़नगर की एक महिला को परिजन उपचार के लिए उज्जैन लेकर आए थे। महिला को संजीवनी हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती किया था। बुधवार-गुरुवार की रात अस्पताल के मेल नर्स समीर ने आईसीयू में महिला के साथ छेड़छाड़ की। बेड के पास लगा पर्दा हटाकर समीर महिला के पास पहुंचा और छेड़छाड़ की। सीसीटीवी फुटेज में भी समीर नजर आया, जो पर्दे के पीछे महिला के बेड पर करीब 5 मिनट तक अंदर रहा। महिला की शिकायत पर हंगामा हुआ तो माधवनगर पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी समीर को गिरफ्तार कर थाने लाया गया। आरोपी समीर के खिलाफ छेड़छाड़ की धाराओं में प्रकरण दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया।
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पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं हुआ था
संजीवनी हॉस्पिटल अस्पताल के आईसीयू में महिला मरीज के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना को लेकर लोगों में भी आक्रोश नजर आ रहा है। कांग्रेस नेताओं ने भी शनिवार को पुलिस कंट्रोल रूम का घेराव किया था। पुलिस की जांच में यह जानकारी भी सामने आई कि छेड़छाड़ करने वाला आरोपी साढ़े तीन साल से अस्पताल में काम कर रहा था, लेकिन उसका पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं हुआ था। इसकी जानकारी अब पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन से तलब की है। इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने अन्य सभी निजी अस्पतालों को लेकर भी लिखित सूचना जारी करना शुरू की है।
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पूरे स्टॉफ का कराना होगा कैरेक्टर वेरिफिकेशन
पुलिस प्रशासन के अनुसार अब सभी अस्पतालों में काम करने वाले पूरे स्टाफ का अनिवार्य रूप से कैरेक्टर वेरिफिकेशन करवाना होगा, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके साथ ही अस्पतालों में आईसीयू, वार्डों व अन्य मुख्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने के साथ सुरक्षाकर्मियों और अग्निशमन यंत्रों की भी व्यवस्था अनिवार्य रूप से करना होगी। प्रशासन और पुलिस की टीम इसकी मॉनीटरिंग करेगी। एक महीने बाद इसका सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद निदेर्शों का पालन नहीं करने वाले अस्पतालों के खिलाफ लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।
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इनका कहना है…
सभी अस्पतालों को एक महीने में पूरे स्टाफ का कैरेक्टर वेरिफिकेशन करवाना होगा। साथ ही इस दौरान सीसीटीवी सहित अन्य सुरक्षा इंतजाम भी करना होंगे। इसके संबंध में सभी अस्पताल प्रबंधनों को लिखित में भी सूचना दी जा रही है। अगर एक महीने के भीतर यह प्रक्रिया नहीं की गई तो प्रशासन और पुलिस द्वारा संबंधित अस्पताल के खिलाफ लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।
- प्रदीप शर्मा, पुलिस अधीक्षक
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