महाशिवरात्रि पर्व की महाकाल नगरी में धूम: करे लाईव दर्शन
उज्जैन। महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद महाशिवरात्रि पर्व बाबा महाकाल की नगरी में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस बार शिवरात्रि पर शनि प्रदोष होने से महाशिवरात्रि का पर्व खास हो गया है। भस्मारती के बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया। भगवान को नए वस्त्रों के साथ रुद्राक्ष की माला पहनाई गई। रजत आभूषणों के साथ राजा के रूप में श्रृंगार किया गया।
महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि के करे लाईव दर्शन
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महाकाल के दर्शनों के लिए शुक्रवार देर रात 10 बजे से श्रद्धालु चारधाम मंदिर के पास से कतार लगाकर खड़े हो गए। चलायमान दर्शन व्यवस्था के चलते बड़ी संख्या में भक्तों को भस्म आरती के दर्शन भी मिले। शनिवार रात त्रिकाल पूजन के बाद भगवान महाकाल भक्तों को दूल्हे के स्वरूप में दर्शन दे रहे हैं।
महाशिवरात्रि इसलिए है खास
महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि के पहले 10 फरवरी से शिवनवरात्रि पर्व की शुरूआत हुई थी। नौ दिन मंदिर परिसर में कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर महादेव का नित्य अभिषेक पूजन प्रात: 8 बजे से 9 बजे तक किया जा रहा है। इसके बाद भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन अभिषेक किया जाता है। फिर 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादश-एकादशिनी रुद्राभिषेक शिवनवरात्रि के दौरान किया जाता है। भोग आरती की जाती है। अपरान्ह 3 बजे संध्या पूजन और श्रृंगार किया जाता है। बाबा महाकाल के मुखारविन्द, आभूषण व नए वस्त्र धारण कराए जाते हैं। रात्रि में शयन आरती के पूर्व बाबा महाकाल को धारण कराई गई सामग्री हटाकर आरती की जाती है। यह क्रम नौ दिनों तक जारी रहता है।
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महाशिवरात्रि पर पूजन-अभिषेक
गर्भगृह में दोपहर 12 बजे तहसील की ओर से पूजन-अभिषेक किया गया। शनिप्रदोष होने से दोपहर 2.30 बजे से 3 बजे तक कोटेश्वर महादेव की पूजन, दोपहर 3 बजे से सायं 6 बजे तक भगवान महाकाल का पारंपरिक एकादशिनी रुद्राभिषेक पूजन किया गया। इसके बाद होल्कर व सिंधिया स्टेट की ओर से पूजन संपन्न हुआ। गर्भगृह में पाट, आसन की व्यवस्था पूवार्नुसार ही होगी। आरती में भगवान को गर्म व मीठे दूध का भोग (नित्य संध्या आरती के समान) लगाया गया। शाम 7 बजे के बाद श्री कोटेश्वर महादेव का पूजन, पंचामृत पूजन, सप्तधान्य अर्पण, सेहरा श्रृंगार आरती कार्य रात्रि करीब 10 बजे तक हुआ।
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रात में होगा विशेष महाभिषेक-पूजन
रात 11 बजे से भगवान महाकाल का महाभिषेक होगा। इस दौरान 101 लीटर दूध, दही 31 किलो, खांडसारी (शक्कर) 21 किलो, शहद 21 किलो, घी 15 किलो, पांच प्रकार के फलों का रस 2-2 किलो, गन्ने का रस 11 किलो, गंगाजल, गुलाब जल, भांग आदि सामग्री के साथ केसर मिश्रित दूध से अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। नए वस्त्र धारण कराने के बाद श्री सप्तधान मुखारविन्द धारण कराने के पश्चात सप्तधान अर्पित होगा
सप्तधान में 108 किलो अनाज का उपयोग
रात्रि पूजन के दौरान अर्पित होने वाले सप्तधान में 108 किलो सात तरह के अनाज शामिल होते हैं। इनमें 31 किलो चावल, मूंग खड़ा 11 किलो, तिल 11 किलो, मसूर खड़ा 11 किलो, गेहूं 11 किलो, जौ 11 किलो, साल 11 किलो, खड़ी उड़द 11 किलो अर्पित किए जाएंगे। सप्तधान अर्पण के बाद पुजारी बाबा महाकाल को सेहरा बांधेंगे, जिसमें विभिन्न प्रकार के फूलों की लड़ियां, आंकड़े व पुष्पों की माला, सवा लाख बिल्वपत्र शामिल रहेंगे।
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भगवान धारण करेंगे स्वर्ण आभूषण
रात में महाकाल को सेहरा बांधने के बाद आभूषण कक्ष से स्वर्ण आभूषण छत्र, चन्द्र मुकुट, त्रिपुंड धारण कराए जाएंगे। इसके बाद सेहरा दर्शन आरती प्रात: 5:50 से 6 बजे होगी। नेग के रूप में चांदी का सिक्का व बिल्वपत्र मंदिर समिति की ओर से मुख्य पुजारी द्वारा अर्पित किया जाएगा। भगवान को पंचमेवा 1-1 किलो व पंच मिष्ठान कुल 7 किलो 500 ग्राम, 5 प्रकार के फल व भोग में लगने वाली अन्य सामग्री अर्पण की जाएगी। सेहरा आरती के बाद स्वर्ण आभूषण की सुरक्षा के लिए दो सशस्त्र पुलिस बल के जवान गर्भगृह द्वार पर तैनात रहेंगे।
दिन में 12 बजे होगी भस्म आरती
19 फरवरी यानी रविवार को प्रात: 11 बजे भगवान का सेहरा उतारा जाएगा। स्वर्ण आभूषण निकालने के बाद डबल लॉक में रखकर पुन: सील किया जाएगा। मुखारविन्द व भगवान के वस्त्र बाहर करने के बाद दोपहर 12 बजे से भस्म आरती प्रारंभ होगी। आधे घंटे बाद भोग आरती होगी। ब्राह्मण भोजन के दौरान दक्षिणा दी जाएगी।
21 फरवरी को होंगे पंचानन दर्शन
शिवनवरात्रि के पश्चात 21 फरवरी यानी मंगलवार को चन्द्रदर्शन दूज पर दोपहर 3 बजे संध्या पूजन होगा। रात 10 बजे शयन आरती के पूर्व भगवान पंचानन दर्शन होंगे। माना जाता है कि पंचानन स्वरूप के दर्शन से शिवनवरात्रि के दौरान होने वाले श्रृंगार दर्शन का लाभ मिलता है।
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आठ दिन पहले से शुरू हो जाता है पर्व
महाकालेश्वर मंदिर देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां महाशिवरात्रि का पर्व आठ दिन पहले से शुरू होता है। शिवनवरात्रि के दौरान भगवान महाकाल का रोजाना पूजन-अभिषेक के बाद भगवान का अलग-अलग स्वरूप में श्रृंगार किया जाता है। वहीं, महाशिवरात्रि महापर्व के दिन बाबा महाकाल की रात्रि में त्रिकाल पूजा की जाती है। रात भर चलने वाली पूजा में महाकाल को फलों के रस से अभिषेक किया जाता है। वहीं सात प्रकार के धान्य अर्पित किए जाते हैं।
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आज लड्डू प्रसादी के लिए 30 काउंटर
महाशिवरात्रि के मौके पर आज लड्डू प्रसादी के लिए 30 काउंटर बनाए गए हैं। हरसिद्धि पाल पार्किंग, हरसिद्धि मंदिर के पास टीनशेड, झालरिया मठ और भील समाज धर्मशाला के पास काउंटर बनाए गए हैं। आम दिनों में लड्डू प्रसादी मंदिर के अंदर एक काउंटर और बाहर दो काउंटर से दी जाती है।
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