धनतेरस: धातुओं की चमक और धार्मिक विश्वासों का संगम
- भारत में धनतेरस की परंपराएं, धार्मिक महत्व और क्षेत्रीय विविधता

दीपावली के पर्व से ठीक दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस का त्योहार भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग धन की देवी लक्ष्मी और आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा करते हैं। धनतेरस को धातुओं का त्योहार भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग सोना, चांदी, तांबा आदि धातुओं से बनी वस्तुएं खरीदते हैं।
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धनतेरस की परंपराएं
- धन्वंतरि की पूजा- धनतेरस के दिन आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन लोग स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए धन्वंतरि की पूजा करते हैं।
- लक्ष्मी पूजन- धन की देवी लक्ष्मी की पूजा भी धनतेरस के दिन की जाती है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी जी घर में प्रवेश करती हैं।
- धातुओं की खरीदारी- धनतेरस के दिन लोग सोना, चांदी, तांबा आदि धातुओं से बनी वस्तुएं खरीदते हैं। मान्यता है कि इन धातुओं को खरीदने से घर में धन की वृद्धि होती है।
- दीपदान- धनतेरस की शाम को यमराज के लिए दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है।
- नया बर्तन खरीदना- इस दिन नए बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। मान्यता है कि नए बर्तन घर में सुख-समृद्धि लाते हैं।
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धनतेरस का धार्मिक महत्व
धनतेरस का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। इस दिन लोग धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। धन्वंतरि की पूजा से स्वास्थ्य लाभ होता है और लक्ष्मी पूजन से धन की वृद्धि होती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में धनतेरस को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। हालांकि, मूल परंपराएं सभी जगह एक जैसी ही होती हैं। कुछ क्षेत्रों में धनतेरस को दीपावली की शुरूआत माना जाता है, जबकि कुछ क्षेत्रों में इसे अलग त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
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भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
धनतेरस का त्योहार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार धर्म, संस्कृति और अर्थव्यवस्था को जोड़ने वाला एक अनूठा त्योहार है। धनतेरस के दिन लोग न केवल धार्मिक अनुष्ठान करते हैं बल्कि खरीदारी भी करते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।
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