
उज्जैन। सनातन धर्म की सर्वोच्च सत्ता पर विराजमान आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों पीठ के शंकराचार्य दशको बाद प्रयागराज महाकुंभ में एक साथ मौजूद रहेंगे। यहां पर यह बता दिया जाए की अभी तक यह देखा जाता था कि ज्योतिष और द्वारिका पीठ के शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और पूरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद पूरी ही महाकुंभ में आते रहे हैं।
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लेकिन पहली बार प्रयागराज महाकुंभ में श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य भारती तीर्थ महाकुंभ प्रयागराज में आने का निमंत्रण स्वीकार कर चुके हैं और जैसे ही मेला प्रशासन ने उनके कुंभ छावनी की तैयारी शुरू की उसी के बाद से यह स्पष्ट हो गया कि इस बार का प्रयागराज महाकुंभ सनातन धर्म के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। वैसे तो वर्तमान में देशभर में एक दर्जन से ज्यादा फर्जी शंकराचार्य घूम रहे हैं। लेकिन सनातन धर्म में चार पीठ और उनके शंकराचार्य की एक अलग महिमा और महत्व है।
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यही कारण है कि सनातन धर्म में इनको सर्वोच्च सत्ता पर विराजमान माना जाता है और अब जब यहां प्रयागराज महाकुंभ में एक साथ विराजमान होंगे तो यह तय है कि सनातन धर्म की दिशा और दशा के लिए एक नई परंपरा का आगाज होगा। इस बार बद्रीका ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी मुक्तेश्वरानंद सरस्वती, द्वारिका पीठाधीश्वर शारदानंद सरस्वती, पुरी पीठाधीश्वर निश्चलानंद पुरी और श्रृंगेरी पीठ के पीठाधीश्वर निश्चलानंद पुरी श्रृंगेरी पीठ के पीठाधीश्वर भारती तीर्थ के महाकुंभ प्रयागराज में एक साथ मौजूद रहने से सनातन धर्म को एक नई ताकत और ऊर्जा मिलेगी इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
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